序 | 诗词名称 | 作者 | 热 |
---|---|---|---|
1 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
2 | 偈颂六十七首 其二 | 释原妙 | 1 |
3 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
4 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
5 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
6 | 偈颂六十七首 其六 | 释原妙 | 1 |
6 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
7 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
8 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
9 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
9 | 偈颂六十七首 其九 | 释原妙 | 1 |
10 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
10 | 偈颂六十七首 其十 | 释原妙 | 1 |
11 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
12 | 偈颂六十七首 其十二 | 释原妙 | 1 |
12 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
13 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
14 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
15 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
16 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
17 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
18 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
19 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
20 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
21 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
22 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
23 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
25 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
26 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
27 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
28 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
29 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
30 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
31 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
31 | 偈颂六十七首 其三十一 | 释原妙 | 1 |
32 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
33 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
34 | 偈颂六十七首 其三十四 | 释原妙 | 1 |
34 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
35 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
36 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
37 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
38 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
38 | 偈颂六十七首 其三十八 | 释原妙 | 1 |
39 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
40 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
41 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
41 | 偈颂六十七首 其四十一 | 释原妙 | 1 |
42 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
43 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
43 | 偈颂六十七首 其四十三 | 释原妙 | 1 |
44 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
45 | 偈颂六十七首 其四十五 | 释原妙 | 1 |
45 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
47 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
48 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
49 | 偈颂六十七首 其四十九 | 释原妙 | 1 |
49 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
50 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
50 | 偈颂六十七首 其五十 | 释原妙 | 1 |
51 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
54 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 0 |
55 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
56 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
57 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
58 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
59 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
60 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
61 | 偈颂六十七首 | 释原妙 | 1 |
61 | 偈颂六十七首 其六十一 | 释原妙 | 1 |
(宋)释原妙
十五日已前,{毡占换畏}{毡占换畏}{毡占换畏}{毡占换畏},
魍魍魉魉。十五日已后,
巍巍堂堂,炜炜煌煌。
正当十五日,虚空为鼓,
须弥为槌,轻轻击动,
佛祖攒眉。若将耳听应难会,
眼处闻声方始知。
(宋)释原妙
大限九旬,小限七日。
粗中有细,细中有密。
密密无间,纖尘不立。
正恁麽时,银山铁壁。
进则无门,退之则失。
如堕万丈深坑。四面悬崖荆棘。
切须猛烈英雄,直要翻身跳出。
若还一念迟疑,佛亦救你不得。
此是最上玄门,普请大家著力。
山僧虽则不管闲非,越例与诸人通个消息。
(宋)释原妙
一夏以来,诸人懡{左忄右罗},
山僧亦懡{左忄右罗}。懡{左忄右罗}逢懡{左忄右罗},
彼此无空过。今朝圣制告圆,
不免更说些懡{左忄右罗}禅,赢得大家俱懡{左忄右罗}。
如何是懡{左忄右罗}禅,咄,
猛火著油煎。